Description
Sexol Oil is effective on flagellate fracture (clavia)
At a young age, due to masturbation, anal sex, the first raw path opens, after that, due to excessive female sexual intercourse and bad company, reading of dirty novels and modern lustful drinking, etc., due to excessive viewing of films full of lust, the state of mind is always filled with lustful emotions. Excessive semen loss occurs due to indulging in. And in today’s world, due to all the food items being artificial and lacking in nutrition, the brain becomes extremely weak and all the organs controlled by the brain also become weak. In this way, the nerves and nerves related to the brain also become weak. Man becomes addicted to Gemini, this is called Dhwajbhanga or Cliva and its feeling is called Clavya.
Its simple symptoms include the man in whom foam is not visible when he urinates, and when he urinates, the stool floats in water and the penis does not get erect even by remembering sexual things or by the expressions of lustful women, sarcasm, touch, etc. And if semen is not present in it then it is called cleave. Due to the impact on the mind of a man desiring to have sexual intercourse by those two different psychotic emotions, the penis does not get erect even after having sexual intercourse, the same condition is called Clavya. Trying to force sexual intercourse with a woman who does not wish to have sexual intercourse results in mental confusion.
A man who is engaged in sexual intercourse day and night and does not enhance the semen that has been destroyed due to excessive sexual intercourse, with medicines, the penis of such a man does not get erect after a few days, this is also called clavya.
Sex-related diseases, such as those caused by the penis being thick or too long, are also called Clavya. The disease that occurs due to blockage of semen due to lack of means of sexual intercourse when the sexual desire of a man who has become strong due to celibacy and exercise is awakened. it is also called clavya. A person who has been born since yesterday and has only a small sign of penis instead of urination, is also called Clavya Sahaj. All people affected by Clavya, massaging the penis with sexol oil with soft hands gets relief in Clavya defects and Man enjoys ample enjoyment.
Consuming two capsules of Bajikar medicine Tonomed along with this Sexol oil twice a day with milk provides immense benefits.
सेक्सोल तैल ध्वज भंग रोग (क्लैव्य) पर प्रभावी है
अल्प अवस्था में हस्तमैथुन गुद मैथुन कारणों से प्रथम कच्चा मार्ग खुल जाता है उसके पश्चात अधिक स्त्री संभोग तथा कुसंगति, गंदे उपन्यासों के पढ़ने से एवं आधुनिक कामवासना मद्यपान इत्यादि कर्मों से काम वासना से परिपूर्ण चित्रपटों के अधिक देखने के कारण मन की स्थिति सदा काम भावनाओं से लिप्त रहने के कारण अधिक वीर्य क्षय होने लगता है तथा आजकल के संसार में सभी खाद्य सामग्री कृत्रिम होने से पोषण हीन होने के कारण मस्तिष्क अत्यंत दुर्बल पढ़ जाता है तथा मस्तिष्क के द्वारा संचालित होने वाले समस्त अंग भी शिथिल हो जाते हैं इस प्रकार जैनेंद्र संबंधी स्नायु तथा नाडी मंडल के भी दुर्बल हो जाने से मनुष्य मिथुन करने में आसक्त हो जाता है इसी को ध्वजभंग या क्लिव कहते हैं और इसी के भाव को क्लैव्य कहते हैं।
इसके सरल लक्षणों में जिस मनुष्य के मूत्र त्याग करने पर उसमें फेन उठते हुए ना दिखाई दे तथा मल त्याग करने पर मल पानी में तैरता हो तथा कामवासना मय बातों के स्मरण करने से या कामनी स्त्रियों के हाव भाव कटाक्ष स्पर्शआदि से भी लिंग उठता ना हो एवं उसमें वीर्य भी नहीं उपस्थित होता हो तो उसी को क्लीव कहते हैं उन भिन्न-दो मनोविकारक भावों के द्वारा संभोग करने की इच्छा वाले मनुष्य के चित्त पर आघात पहुंचने से कामकथा होने पर भी लिंग उत्तथित नहीं होता है उसी अवस्था को क्लैव्य नाम से कहा जाता है । संभोग की इच्छा नहीं रखने वाली स्त्री के साथ जबरदस्ती से संभोग का प्रयत्न करने से मानसिक क्लैव्य उत्पन्न होता है।
जो मनुष्य रात दिन संभोग करने में ही लगा रहता है तथा अधिक संभोग के कारण नस्ट हुए वीर्य का बाजीगर औषधीय से वर्धन नहीं करता है ऐसे मनुष्य का लिंग कुछ दिनों के बाद उत्तथित नहीं होता है यह भी क्लैव्य होता है।
लिंग संबंधित रोग जैसे लिंग के मोटे अथवा अधिक लंबे होने के कारण उत्पन्न हुए रोग को भी क्लैव्य कहते हैं ।ब्रह्मचर्य तथा कसरत के कारण बलवान हुए मनुष्य की कामवासना जागृत होने पर संभोग का साधन उपस्थित नहीं होने से वीर्य का अवरोध होकर जो रोग उत्पन्न होता है उसकोभी क्लैव्य कहते हैं जिस मनुष्य का जन्म कल ही से मूत्र त्याग की जगह लिंग का केवल छोटा सा चिन्ह मात्र हो उसेभी क्लैव्य सहज कहते हैं ।समस्त क्लैव्य से प्रभावित मनुष्यों को लिंग पर सेक्सोल तैल द्वारा नरम कोमल हाथों से मालिश करने से क्लैव्य दोषों में लाभ मिलता है और मनुष्य पर्याप्त भोग का आनंद लेता है।
इस सेक्सॉल तेल के साथ बाजीकर औषधि टॉनोमेड की दो कैप्सूल दो बार प्रति दिन दूध के साथ सेवन करने से आशातीत लाभ मिलता है।
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